Monday, June 2, 2008

दिन दिन की शायरी

एक पल एहसास बन के आते हो , और दुसरे पल ख्वाब बन के उड़ जाते हो । ये मालूम है के तन्हाई से डर है हमें , फ़िर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो ।

बिखरे अश्को के मोती हम पिरो ना सके , उसकी याद में सारी रात सो ना सके , भीग ना जाए आँसुओ मे तस्वीर उनकी , बस यही सोच कर हम रो ना सके ।

प्यार के लिए दीवाने चले आते है , शमा के लिए परवाने चले आते है , याद नही आती तो आना मेरी मौत पर । उस दिन तो बेगाने भी चले आते है ।

ज़िक्र उनका आता है मेरे फ़साने में , जिनको जान से ज़्यादा चाह था हमने ज़माने में , तन्हाई में उन्ही की याद का सहारा मिला, नाकामयाब रहे जिन्हें हम भुलाने में ।

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