Monday, June 30, 2008

आज की एक और शायरी

मैंने उसे एक इशारा किया उसने सलाम लिख के भेजा ,
मैंने पुचा तुम्हारा नाम क्या है , उनसे चाँद लिख भेजा,
मैंने पुचा तुम्हे क्या चाहिए, उसने सारा आस्मां लिख के भेजा ,
मैंने पुचा कब मिलोगी, उसने क़यामत की शाम लिख के भेजा,
मैंने पुचा किस से डरते हो, उसने मोहब्बत का अंजाम लिख के भेजा,
मैंने पुचा तुम्हे नफरत किस से है, उसने मेरा ही नाम लिख के भेजा ।

मुश्किलों से आपकी मुलाक़ात ना हो, उदास बैठे रहो कभी ऐसी कोई बात ना हो ,
दुआ है की महफिलों से सजे जिंदगी आप की , बस हमें पुकार लेना अगर कोई साथ ना हो ।

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