Tuesday, July 22, 2008

दिल को छु लेनेवाली शायरी

बनकर जो धड़कन दिल के करीब आते है , एक एक लम्हा जिनकी याद में बिताते है ।
आंसू निकलते है जब याद वो आते है, जान चली जाती है जब वो रूठ जाते है ।

फिजा में महेकती शाम हो तुम, प्यार में झलकता जाम हो तुम , तुम्हे दिल में छुपाया फीरते है , ए दोस्त जिंदगी का दूसरा नाम हो तुम ।

दो पल की जिंदगी यूँही बीत जायेगी कल के बाद नई सुबह आएगी, अगर किसी की याद सताएगी तो कसम से आपकी याद सबसे पहले आएगी ।

चाहा तो जिंदगी से बहुत कुछ, मगर तुझे पाने की एक प्यास सी रह गई, चाह कर भी तुझे पा ना सके हम, बस अब तेरी मीठी सी याद रह गई ।

एक फूल काफ़ी है कबर पर चढाने को, हजारों फूल कम है डोली सजाने को,
हजारों खुशियाँ कम है एक ग़म भुलाने को , और एक गम काफ़ी है , जिंदगी भर रुलाने को ।

बोलती है दोसती, चुप रहता है पयार , हसती है दोसती रुलाता है पयार, मिलती है दोसती
जुदा करता है पयार, फीर भी क्यूं दोसती छोड़ कर लोग करते हैं प्यार ।

पाकों की हलचल इकरार है , किसी को ढूंढे नज़रें वो इन्तेज़ार है , महफिल में
कीसी के बीना जब दिल बेचैन हो तब वो प्यार है ।

जिनकी यद् में हम दीवाने हो गए, वोह हम ही से बेगाने हो गए,
शायद उन्हें तलाश है नए पयार की, क्यों की उनकी नज़रों में हम पुराने हो गए ।

दिल के इस आँगन में पतझड़ का मौसम आया है,
जब भी मुड़कर देखा तुझको ही पाया है ,
तन्हाई के इस आलम में जाए तोह जाएँ कहाँ ?
इस जिंदगी में कभी तो फीर मिलेंगे,
ना मिल सके कभी तो यही दुआ करेंगे।
होंठों पर सदा तेरे मुस्कान बनी रहे ।

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर मुक्तक हैं।

chaha तो जिंदगी से बहुत कुछ, मगर
तुझे पाने की एक प्यास सी रह गई,
चाह कर भी तुझे पा ना सके हम,
बस अब तेरी मीठी सी याद रह गई ।