Friday, July 11, 2008

मैं वापस आ गया

मुद्दत से थे दूर हमसे आप, किस्मत ने जब मिलाया तो अछा लगा,
सागर से गहेरी लगी आप की दोस्ती, तैरना आता था पर डूबना अछा लगा ।

हमसे दूर जाओगे कैसे, दिल से हमे भूलोगे कैसे,
हम तो वो खुसबू हैं जो आपकी साँसों में बसते हैं, ख़ुद की साँसों को रोक पाओगे कैसे ?


आपको पाकर अब खोना नही चाहते, इतना खुश हो कर अब रोना नही चाहते,
ये आलम है हमारा आपकी जुदाई में के , आंखों में नींद है मग सोना नही चाहते ।

जिंदगी में हमने कभी कुछ चाहा ही नही , जिससे चाह उसे कभी पाया ही नही ।
जिस से पाया उसे यूँ खो दिया जैसे, जिंदगी में कभी कोई आया ही नही ।

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