Wednesday, October 1, 2008

देस से आए पर आए सही

ना कभी मुस्कराहट आपके होठों से दूर हो, आपकी हर ख्वाहिश हकीक़त में मंज़ूर हो,
हो जाए जो आप हमे खफा, खुदा ना करे हमसे कभी ऐसा कसूर हो

पलकों में कैद कुछ सपने है, कुछ बेगाने कुछ अपने है
ना जाने क्या कशिश है ख्यालों में आप दूर हो के भी कितने अपने है

दरिया वफ़ा का कभी रुकता नही, मोहब्बत में इंसान कभी झुकता नहीं,
हम चुप है किसी के खुशी की खातिर, और वो सोचते है के दिल मेरा दुखता नही

पलकों को हमने भिगोये नही, उनको लगा की हम रोये नही,
उसने पूछा के किसके सपने देखते हो तुम ? हम है की एकक अरसे से सोये नही

मेरी हर साँस में तुम हो, मेरी हर सोच में तुम हो,
मेरी हर धड़कन में तुम हो, और एक तुम हो पता नही कहाँ घूम हो

Jअब भी ख्याल आया तो तेरा आया, आँखें बाँध की तो ख्वाब तेरे आया,
सोचा याद कर लूँ खुदा को पल दो पल
होंठ खुले तो नाम तेरा आया

पूछ लो खुदा से तेरे लिए ही हमने दुआ मान्घी, पूछ लो हवा से तेरे लिए ही हमने फिजा मांगी
तेरी हर एक गलती के लिए, हमने दुआ में भी अपने लिए सज़ा मांगी

तम्मान्ना कोई भी मेरे दिल की ना पुरी हुई, चाहत का कोई अफसाना ना बना
आज फिर चली गई ज़िन्दगी नज़रों के सामने से
और उससे रोकने का कोई बहाना ना मिला

कब दिल उसकी याद में चूर नही था, कब उस से मिलने को दिल मजबूर नही था
ये सच है मेरे यार इस ज़िन्दगी में , दिल उसी का टूटा टा है जिसका कोई कसूर नही होता

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