Wednesday, December 31, 2008

नया साल मुबारक

नए साल आए बनके उजाले,
नए साल आए बनके उजाले,
खुल जाए आप की किस्मत का ताले,
हमेशा आप पे रहे मेहेरबान उपरवाले ,
चाँद तारे भी आप पे ही रोशनी डाले
एक-खूबसूरती॥! एक-ताजगी..! एक-सपना..! एक-सचाई..! एक-कल्पना..! एक-अहसास..! एक-आस्था..! एक-विश्वास..!
यही है एक अच्छे साल की शुरुआत।

विश्व के तमाम दोस्तों को मेरी और से नव वर्ष की सुभकामनाये, आप सब प्यार, दोस्ती और शान्ति बनाये रखे, सब की सेवा करे और एक बेहतर समाज के लिए प्राथना करे

आप जहाँ भी हो वहां अपने वतन का, माता पिता का, परिवार का नाम रोशन करें और हमेशा गाते गुन गुनते और मुस्कुराते रहे

आपका प्यारा दोस्त

हेमंत परीख

Tuesday, December 30, 2008

साल की कुछ आखरी शायरी

ज़िन्दगी में कुछ वक्त यादगार होत है, यादों में कुछ लोग ख़ास होते है
युंह तो दूर होते है नज़रों से, पर उनके एहसास दिल के पास होते है

Monday, December 29, 2008

लो जी हम फिर आ गए जी

हम वोह नही जो भूल जाया करते है, हम तोः वोह है जो निभाया करते है,
दूर रहकर शायद मुश्किल हो मिलना, पर याद बनकर दिल में बस जाया करते हैं

मैंने हवा को एक पैगाम दिया, वो झूमती हुई बादल के पास गई और मेरा पैगाम उसको दिया तो वो बरसने लगा और गिरने वाली हद बूंद से आवाज़ आई । I MISS YOU

आप को याद करके अपना दिल बहलाते है, आपकी बातें याद करके अकेले हिल खिलाते हैं आप समझे हम आपको भूल गए, पर दोस्ती की ज्योत इस दिल मे हम हर शाम जलाते हैं

हर खुशी में आप की बात करते हैं, आप सलामत रहे ये फरियाद करते हैं, अब एक पैगाम से क्या बताएं हम आपको कितना याद करते हैं

काश में चाँद तू सितारा होता, फलक पे एक आशियाँ हमारा होता, सब तुझे दूर बहोत दूर से देखते पर तुझे चूने का हक सिर्फ़ हमारा होता

मिला है सब कुछ तो फरियाद क्या करे, दिल है परेशान तो जज़्बात क्या करे तुम कहते हो तुम्हे याद नही करते, भूले नही जिसे उसे याद क्या करे

खूब गए परदेस के अपने दीवारों दर भूल गए, शीश महल ने ऐसा घेरा मिटटी का घर भूल गए, उसकी गलियों से जब लौटे अपना भी घर भूल गए

जिस सुबह दिल में तुम्हारी याद ना ए, खुदा करे ऐसी सुबह ना आए, ए मेरे यार ये मुमकिन नही की अफसाना लिखू दोस्ती का और उसमे तेरा नाम ना आए

Monday, December 22, 2008

बढ़ रहा है और भी खजाना

हमसे कोई गिला हो जाए तो माफ़ करना, याद न कर पाए तो माफ़ करना,
दिल से तो हम आपको कभी भूलते नही, पर ये दिल ही रुक जाए तो माफ़ करना

यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो, प्यार के ज़ख्म अमानत है दिखाया ना करो
शहर ऐ एहसार में पत्त्हत बहुत है, दिल को शीहे के झरोंखों मे सजाया ना करो

सी क्या है, हर लम्हा ठहरा है,
कितनी मुद्दत से कोई ख्वाब न देखा है, ये नज़रें तुम्हारी बरसाए बेहोशियाँ
इस बेखुदी में हम भूल जाए दुनीया


खुशियाँ इस जहाँ की खुदा आप पर निसार दे, भूल जाओ ग़म कोई इतना प्यार दे,
झुक जाए आप के कदमो में यह दुनिया, खुदा आपको वो प्यारा सा मुकाम दे

टूट जाता है हर एक ख्वाब मुकम्मल हो कर

इस लिए मैंने हर एक ख्वाब अधुरा रखा है

अगर जो दिल की सुनोगे तो हार जाओगे, हम जैसा प्यार फिर कहाँ पाओगे
जान देने की बात तोह हर कोई करता है, ज़िन्दगी बनने वाला कहाँ पाओगे ?


राज़ दिल का दिल में छुपाते है वोह, साम आते ही नज़र झुकाते है वोह
बात करते नही, या होती नही, शुकर है जब भी मिलते है मुस्कुराते है वोह


चले गए हो दू कुछ पल के लिए, दूर रहकर भी करीब हो हर पल के लिए,
कैसे याद ना आए आपकी एक पल के लिए, जब दिल में हो आप हर पल के लिए


उस दिल से प्यार करो जो तुम्हे दर्द दे, पर उस दिल केपी दर्द ना दो जो तुम्हे प्यार करे,
क्यूंकि दुनिया के लिए तुम एक हो पर किसी एक के लिए, तुम सारी दुनिया हो

तेरी दोस्ती तेरी वफ़ा ही काफ़ी है, तमाम उमर ये आसरा ही काफ़ी है,
जहाँ कही भी मिलो, मिलके मुस्करा देना, मेरे जीने के लिए तेरी ये अदा ही काफ़ी है

चख लिया जायका ऐ शायरी जबसे, लफ्जों में तर्रनुम सी आ गई, अर्ज़ ऐ जुबां ऐ इश्क
मचल ही जाती है, अब भी तेरे चेहरे की तब्बसुम याद आती है,

तेरी कुर्बत मिले मगर तेरा सहारा ना मिला, करीब पहुँच कर भी साहिल का किनारा ना मिला देखता रहा गौर से मैं हथेली पे, मगर मुझे अपनी किस्मत का सितारा ना मिला

Tuesday, December 16, 2008

शायरी आप के नाम

मैं ख़ुद ज़मीन मेरा ज़र्फ़ आसमान का है, के टूट कर भी मा हौसला चटान का है,
बिचाद के मैं उस से इस लिए रोया, वो कह गई थी ये वक्त इम्तेहान का है

लिखो तो पैगाम कुछ ऐसा लिखो के कलम भी रोने पर मजबूर हो जाए,
लफ्जों मे वो दर्द भरदो की पढ़नेवाले मिलने पर मजबूर हो जाए

एक तो आपसे मेरी मुलाक़ात नही होती, होती हे ख्वाबों में तो फ़िर बात पुरी नही होती,
शायरी करके दिल नही भरता मेरा, क्यूँ की उसमे आपकी आवाज़ नही होती

शिकवा किसी का न फरियाद किसी की, होनी थी यूँही ज़िन्दगी, बरबाद किसी की
एहसास मिटा, कसक मिटी, मिट गई उमीदें सब मिट गया पा मिट सका याद किसी की


ज़रा सी MOBILE मे दे जगह तू, ज़रा सा INBOX ले सजा, ज़रा सा Sent Items में जा तू,
ज़रा सा BALANCE ले घटा, मैं भेजू SMS तुझको बेपनाह,

दिन बीत जाते हैं यादें बनकर, बातें रह जाती है कहानी बनकर,
पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहेंगे, कभी मुस्कान तो कभी आंखों का पानी बनकर

लिखे तोह क्या लिखें हम कलम जज्ब ऐ दिल तेरे लिए सनम
जो ख़ुद ही मोहब्बत कहलाता हो उसके लिए क्या लिखें हम

Friday, December 12, 2008

कुछ और अच्छी अच्छी शायरी

आंखों को इंतज़ार की आदत सी हो गई , यही ख्याल ऐ यार की आदत सी हो गई
अब कोई दूसरा मिले भी तो दिल चाहता नही,
क्यूँ की हमको तेरी दोस्ती की आदत सी हो गई

कुछ दुरी कुछ मजबूरी, मैं इस पार तू उस पार, फ़िर उसपर है तू खफा खफा
मैं ने की मिन्नत बार बार, बहुत हो गया इंतज़ार, अब तो बाहोने में ले ले मेरे यार

देखे हजारो महफिले पर ये फिजा कुछ और है, जलवे देखे है हजारो पर आप की अदा कुछ और है,
वैसे तो हजारो जाम है पर आपकी दोस्ती का नशा कुछ और है

अभी इस तरफ़ न निगाह कर, मैं ग़ज़ल की पलकें संवार लूँ,
मेरा लफ्ज़ लफ्ज़ हो आइना, तुझे आईने में उतार लूँ

तेरी याद दिलको बेकरार करती हैं नज़र तुझे तलाश करती है,
गिला नही जो हम है दूर तुमसे, तेरी तोह जुदाई भी हमसे प्यार करती है

दिल मे इंतज़ार की लकीर छोड़ जायेंगे, आंखों में यादों की नमी छोड़ जायेंगे,
ढूंढते फिरो गे हमें एक दिन, ज़िन्दगी में ऐसी कमी छोड़ जायेंगे

अनजान सी मुलाक़ात पहचान बन गयी, एक मीठे से रिश्ते की जान बन गई,
दो कदम तुम चले, दो कदम हम चले, और दोस्ती की राह आसान बन गई

Sunday, December 7, 2008

एक अरसे के बाद आया हूँ

तू पिला मुझे थोडी सी, मगर जोश ऐ तम्मना डाल कर
तू दे मुझे कतरा मगर कतरे में दरिया डाल कर

हुई मुझसे मेरी मोहब्बत रुसवा, हम उनको अपने दिल के नगर में धुन्ढ़ते है
न जाने कहाँ ले जायेगी मुझे ज़िन्दगी मेरी
थक कर हम उनके डर ओ दिवार को चुमते है

तुझे क्या पता ग़म किसे कहते है, अरे तुझे क्या पता ग़म किसे कहते है
तुने तोह हमेशा Cellotape ही use किया है

हो आपकी जिंदगी में खुशियों का मेला, कभी न आए कोई झमेला
सदा सुखी रहे आप का बसेरा

खुदा हमारी तरह तुम्हे तन्हाई ना दे, हम जी लेंगे तनहा पर तुम्हे जुदाई ना
हमारी निगाहों में बसी रहे आपकी
सूरत
आपको भले ही हम दिखाई ना दे


जुगनू को कैद कर के मुस्कराया न करो, रौशनी की खातिर किसी का दिल जलाया ना करो,
सितम करना है करो पर इतना ना करो, याद नही कर सकते तोह याद आया ना करो

कौन कहता है खामोशिया, खामोश होती है, खामोशियों को खामोशी से सुनो, क्या पता
खामोशिया वोह कह दे जिनकी आपको लफ्जों में तलाश होती है