Monday, December 22, 2008

बढ़ रहा है और भी खजाना

हमसे कोई गिला हो जाए तो माफ़ करना, याद न कर पाए तो माफ़ करना,
दिल से तो हम आपको कभी भूलते नही, पर ये दिल ही रुक जाए तो माफ़ करना

यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो, प्यार के ज़ख्म अमानत है दिखाया ना करो
शहर ऐ एहसार में पत्त्हत बहुत है, दिल को शीहे के झरोंखों मे सजाया ना करो

सी क्या है, हर लम्हा ठहरा है,
कितनी मुद्दत से कोई ख्वाब न देखा है, ये नज़रें तुम्हारी बरसाए बेहोशियाँ
इस बेखुदी में हम भूल जाए दुनीया


खुशियाँ इस जहाँ की खुदा आप पर निसार दे, भूल जाओ ग़म कोई इतना प्यार दे,
झुक जाए आप के कदमो में यह दुनिया, खुदा आपको वो प्यारा सा मुकाम दे

टूट जाता है हर एक ख्वाब मुकम्मल हो कर

इस लिए मैंने हर एक ख्वाब अधुरा रखा है

अगर जो दिल की सुनोगे तो हार जाओगे, हम जैसा प्यार फिर कहाँ पाओगे
जान देने की बात तोह हर कोई करता है, ज़िन्दगी बनने वाला कहाँ पाओगे ?


राज़ दिल का दिल में छुपाते है वोह, साम आते ही नज़र झुकाते है वोह
बात करते नही, या होती नही, शुकर है जब भी मिलते है मुस्कुराते है वोह


चले गए हो दू कुछ पल के लिए, दूर रहकर भी करीब हो हर पल के लिए,
कैसे याद ना आए आपकी एक पल के लिए, जब दिल में हो आप हर पल के लिए


उस दिल से प्यार करो जो तुम्हे दर्द दे, पर उस दिल केपी दर्द ना दो जो तुम्हे प्यार करे,
क्यूंकि दुनिया के लिए तुम एक हो पर किसी एक के लिए, तुम सारी दुनिया हो

तेरी दोस्ती तेरी वफ़ा ही काफ़ी है, तमाम उमर ये आसरा ही काफ़ी है,
जहाँ कही भी मिलो, मिलके मुस्करा देना, मेरे जीने के लिए तेरी ये अदा ही काफ़ी है

चख लिया जायका ऐ शायरी जबसे, लफ्जों में तर्रनुम सी आ गई, अर्ज़ ऐ जुबां ऐ इश्क
मचल ही जाती है, अब भी तेरे चेहरे की तब्बसुम याद आती है,

तेरी कुर्बत मिले मगर तेरा सहारा ना मिला, करीब पहुँच कर भी साहिल का किनारा ना मिला देखता रहा गौर से मैं हथेली पे, मगर मुझे अपनी किस्मत का सितारा ना मिला

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