Tuesday, December 16, 2008

शायरी आप के नाम

मैं ख़ुद ज़मीन मेरा ज़र्फ़ आसमान का है, के टूट कर भी मा हौसला चटान का है,
बिचाद के मैं उस से इस लिए रोया, वो कह गई थी ये वक्त इम्तेहान का है

लिखो तो पैगाम कुछ ऐसा लिखो के कलम भी रोने पर मजबूर हो जाए,
लफ्जों मे वो दर्द भरदो की पढ़नेवाले मिलने पर मजबूर हो जाए

एक तो आपसे मेरी मुलाक़ात नही होती, होती हे ख्वाबों में तो फ़िर बात पुरी नही होती,
शायरी करके दिल नही भरता मेरा, क्यूँ की उसमे आपकी आवाज़ नही होती

शिकवा किसी का न फरियाद किसी की, होनी थी यूँही ज़िन्दगी, बरबाद किसी की
एहसास मिटा, कसक मिटी, मिट गई उमीदें सब मिट गया पा मिट सका याद किसी की


ज़रा सी MOBILE मे दे जगह तू, ज़रा सा INBOX ले सजा, ज़रा सा Sent Items में जा तू,
ज़रा सा BALANCE ले घटा, मैं भेजू SMS तुझको बेपनाह,

दिन बीत जाते हैं यादें बनकर, बातें रह जाती है कहानी बनकर,
पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहेंगे, कभी मुस्कान तो कभी आंखों का पानी बनकर

लिखे तोह क्या लिखें हम कलम जज्ब ऐ दिल तेरे लिए सनम
जो ख़ुद ही मोहब्बत कहलाता हो उसके लिए क्या लिखें हम

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