Monday, December 29, 2008

लो जी हम फिर आ गए जी

हम वोह नही जो भूल जाया करते है, हम तोः वोह है जो निभाया करते है,
दूर रहकर शायद मुश्किल हो मिलना, पर याद बनकर दिल में बस जाया करते हैं

मैंने हवा को एक पैगाम दिया, वो झूमती हुई बादल के पास गई और मेरा पैगाम उसको दिया तो वो बरसने लगा और गिरने वाली हद बूंद से आवाज़ आई । I MISS YOU

आप को याद करके अपना दिल बहलाते है, आपकी बातें याद करके अकेले हिल खिलाते हैं आप समझे हम आपको भूल गए, पर दोस्ती की ज्योत इस दिल मे हम हर शाम जलाते हैं

हर खुशी में आप की बात करते हैं, आप सलामत रहे ये फरियाद करते हैं, अब एक पैगाम से क्या बताएं हम आपको कितना याद करते हैं

काश में चाँद तू सितारा होता, फलक पे एक आशियाँ हमारा होता, सब तुझे दूर बहोत दूर से देखते पर तुझे चूने का हक सिर्फ़ हमारा होता

मिला है सब कुछ तो फरियाद क्या करे, दिल है परेशान तो जज़्बात क्या करे तुम कहते हो तुम्हे याद नही करते, भूले नही जिसे उसे याद क्या करे

खूब गए परदेस के अपने दीवारों दर भूल गए, शीश महल ने ऐसा घेरा मिटटी का घर भूल गए, उसकी गलियों से जब लौटे अपना भी घर भूल गए

जिस सुबह दिल में तुम्हारी याद ना ए, खुदा करे ऐसी सुबह ना आए, ए मेरे यार ये मुमकिन नही की अफसाना लिखू दोस्ती का और उसमे तेरा नाम ना आए

1 comment:

Anonymous said...

yu hi likhte rahiye, mehnat rang layegi.. ek na ek din to hasina maan jayegi..