Sunday, February 1, 2009

महीने के पहले दिन कुछ नया हो जाए ?

कैसे कहू तेरा इश्क मुझे कितना तडपता है, हरपाल हर लम्हा सिर्फ़ तेरी याद दिलाता है
इस बेताबी का बयान कैसे मैं दूँ, मेरी हर सोच से पहले तेरा ख्याल आ जाता है

इस पल की तन्हाई से, इस दर्द की गहराई से, यह दिल कुछ बात कर रहा है
ज़रा समझाओ इन फिजाओं की जुबां को, तुम्हे कोई अपना याद कर रहा है

कभी पास रह कर भी दूर नज़र आते है, कभी दूर रहकर पास नज़र आते है
दिल में एक खलबली सी मची है, जब आईने में उसकी सूरत नज़र आती है

दर्द से रिश्ता है मेरा, खुशी मेरे नसीब में कहाँ,
कोई हमसे प्यार करे, इतने खुश नसीब हम कहाँ

चेहरे की हसीं से हर ग़म को छुपाओ, बोहत कुछ बोलो पर कुछ ना बताओ
ख़ुद ना रूठो पर सबको मनाओ, येही राज़ है ज़िन्दगी का बस जीते जाओ

तमाम ग़म भूल जाने को जी करता है, अब एक मार मुस्कराने को जी चाहता है
बहुत जी लिया यादों के सहारे, अब तुम्हारे पास आने को जी चाहता है

कुछ बीते हुए लम्हों से मुलाकात हुई, टूटे हुए सपनो से बात हुई,
याद जो करने बैठे उन तमाम यादों को, तोह आपकी यादों से ही शुरुआत हुई


एक ही आरजू रही दिल मे मुद्दतों से, कोई हमें भी चाहे दिल की शिद्दतों से,
बहुत वीरान सी है ज़िन्दगी अपनी, के कोई नवाज़ से हमें आ कर मोहब्बतों से

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